New Step by Step Map For Shodashi
Wiki Article
एकान्ते योगिवृन्दैः प्रशमितकरणैः क्षुत्पिपासाविमुक्तैः
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥
सच्चिद्ब्रह्मस्वरूपां सकलगुणयुतां निर्गुणां निर्विकारां
She is commemorated by all gods, goddesses, and saints. In some destinations, she's depicted sporting a tiger’s pores and skin, using a serpent wrapped all over her neck as well as a trident in a single of her fingers though the other holds a drum.
If the Devi (the Goddess) is worshipped in Shreecharka, it is said to get the best form of worship on the goddess. There are sixty four Charkas that Lord Shiva gave for the human beings, in addition to unique Mantras and Tantras. These were given so the humans could give attention to attaining spiritual Gains.
यह उपरोक्त कथा केवल एक कथा ही नहीं है, जीवन का श्रेष्ठतम सत्य है, क्योंकि जिस व्यक्ति पर षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी की कृपा हो जाती है, जो व्यक्ति जीवन में पूर्ण सिद्धि प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है, क्योंकि यह शक्ति शिव की शक्ति है, यह शक्ति इच्छा, ज्ञान, क्रिया — तीनों स्वरूपों को पूर्णत: प्रदान करने वाली है।
Devotees of Tripura click here Sundari interact in a variety of rituals and techniques to express their devotion and search for her blessings.
यदक्षरमहासूत्रप्रोतमेतज्जगत्त्रयम् ।
Her story includes legendary battles versus evil forces, emphasizing the triumph of fine around evil and the spiritual journey from ignorance to enlightenment.
हन्तुं दानव-सङ्घमाहव भुवि स्वेच्छा समाकल्पितैः
ऐसी कौन सी क्रिया है, जो सभी सिद्धियों को देने वाली है? ऐसी कौन सी क्रिया है, जो परम श्रेष्ठ है? ऐसा कौन सा योग जो स्वर्ग और मोक्ष को देने वाला? ऐसा कौन सा उपाय है जिसके द्वारा साधारण मानव बिना तीर्थ, दान, यज्ञ और ध्यान के पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर सकता है?
These gatherings are don't just about specific spirituality but in addition about reinforcing the communal bonds by means of shared ordeals.
तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥